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Politics in Bihar: जदयू और भाजपा के गठबंधन की परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव

बिहार हमेशा से ही भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता आया है। बिहार और यूपी के लोगों का सपोर्ट किसी भी पार्टी को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए जरूरी होता है। इसकी मुख्य वजह है सीटों की संख्या। बिहार और यूपी में लोकसभा की कुल सीटें हैं।


हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। हार के बाद भाजपा की खूब किरकिरी भी हुई। हालांकि इस हार के बारे में यह भी कहा गया कि कांग्रेस की जीत भाजपा से वोटरों की बेरूखी की वजह से हुई है। इसमें कांग्रेस ने कुछ खास नहीं किया है। लेकिन कांग्रेस के सपोर्टर्स इसे कांग्रेस के मेहनत की जीत करार दे रहे हैं। 


नीतीश कुमार, अमित शाह और रामविलास पासवान (गूगल इमेज)


पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस ने तीन राज्यों में अपना विजय पताखा पहरा दिया। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई तो वहीं छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने सीएम पद की जिम्मेदारी संभाली। जबकि मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने सरकार बनाई। 


चुनाव में भाजपा की हार के बाद बिहार में भी इसका असर दिखने लगा। बिहार में भाजपा और जदयू की सरकार है। जदयू भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार चला रही है। हार के बाद बिहार की राजनीति में जबरदस्त उथल-पुथल देखा गया। बिहार में विपक्षी नेताओं ने नीतीश सरकार पर हमला तेज कर दिया। 


विपक्षी पार्टियां नीतीश सरकार पर विफल होने का आरोप लगा रही है। बिहार सरकार के शराबबंदी के फैसले को भी विपक्षी पार्टी गलत बता रही है। राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर भी विपक्ष ने नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साधा। 

अमित शाह और नीतीश कुमार (साथ में सुशील कुमार मोदी) गूगल इमेज


अब बिहार में आगामी लोकसभा को देखते हुए जदयू और भाजपा ने सीटों के बंटबारे का फॉर्मूला तैयार किया। लेकिन भाजपा के कई सहयोगी दल इससे नाराज हो गए। उपेन्द्र कुशवाहा ने भाजपा से अंतत: अलग होने का फैसला लिया और अलग हो गए। कुशवाहा के अलग होने के बाद एनडीए के एक और घटक दल ने सीट बंटबारे पर नाराजगी जताई। 


एनडीए में शामिल लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने भाजपा को चेतावनी देते हुए सीट बंटवारे को लेकर फिर से विचार करने को कहा। लेकिन बात नहीं बनी। लोकसभा चुनाव से पहले जदयू और भाजपा ने 100 में से 50-50 प्रतिशत सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया। 


लोकसभा चुनाव से ठीक बाद बिहार में विधानसभा चुनाव भी है। ऐसे में भाजपा को इस बात चिंता हो सकती है कि अगर लोकसभा में नैया पार लग भी गई तो आगे आने वाले विधानसभा चुनाव में क्या होगा। नाराज पार्टियां एनडीए के खिलाफ गठबंधन या लामबंद हो सकते है। अगर ऐसा करने में वे कामयाब होते तो भाजपा के लिए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव मुश्किल भरा हो सकता है। 
Politics in Bihar: जदयू और भाजपा के गठबंधन की परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव Politics in Bihar: जदयू और भाजपा के गठबंधन की परीक्षा बिहार विधानसभा चुनाव Reviewed by Santosh Bhartiya on 11:54 PM Rating: 5

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