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भारत के लिए बांग्लादेश में हसीना के आने के क्या हैं मायने?

दोस्तों नमस्कार,


फिर से हाजिर हूं मैं संतोष भारतीय। आज हम बात करेंगे भारत और बांग्लादेश के संबंधों के बारे में। भारत एक संप्रभु देश रहा है। भारत की आजादी से पहले पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत का ही एक अंग थे। लेकिन आजादी के समय भारत के विभाजन के बाद ये दोनों देश भारत से अलग होकर नए देश बने।

India-Bangladesh


शुरुआत में पाकिस्तान दो हिस्सों में था। एक पूर्वी पाकिस्तान, जिसे आज बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है और दूसरा पश्चिमी पाकिस्तान जिसे आज पाकिस्तान के नाम से जाना जाता है। भारत और पाकिस्तान से रिश्ते तो सभी को पता है। लेकिन भारत और बांग्लादेश के रिश्ते भी पहले कमोबेश पाकिस्तान जैसे ही थे। लेकिन फिर वक्त के साथ इसमें सुधार होता गया। 

बांग्लादेश की आजादी में भारत का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पाकिस्तान के साथ हुए 70- के दशक के युद्ध के बाद बांग्लादेश का गठन हुआ था। भारत के योगदान के बाद बांग्लादेश 1971 को एक संपूर्ण राष्ट्र के रूप में दुनिया के नक्शे में आया। 

बांग्लादेश की आजादी के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के बीच भी भूमि को लेकर विवाद था। हालांकि 2014 में भारत में भाजपा का सरकार बनने के बाद दोनों देशों के बीच के इस मसले को सुलझा लिया गया। इस फैसले के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में सुधार देखा गया। 

नरेंद्र मोदी और शेख हसीना


अभी बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार है। हसीना सरकार को भारत के तरफ झुकाव रखने वाला माना जाता है। इसी सरकार के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच के भूमि विवाद को सुलझाया गया था। शेख हसीना की अवामी लीग और उनके सहयोगी दलों को 30 दिसंबर 2018 (रविवार) को हुए चुनाव में प्रचंड जीत हासिल हुई। 

अवामी लीग पार्टी की जीत के साथ ही फिर से शेख हसीना के सत्ता में वापसी की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में यदि शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता में वापसी करती है तो यह भारत के लिहाज से एक रणनीतिक साझेदारी करने का मौका हो सकता है। 

30 दिसंबर को हुए चुनाव में अवामी लीग को 300 सीटों में से 299 सीटों पर चुनाव कराए गए थे। 299 सीटों में से 288 सीटों पर अवामी लीग और उनके सहयोगी दलों ने कब्जा जमा लिया है। इस जीत के साथ ही शेख हसीना ने कहा है कि उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता होगी कि पहले से शुरू हुए कामों में गति लाना और जनता के लिए सुरक्षा प्रदान करना। 

भारत के साथ बांग्लादेश के संबंध हमेशा मैत्रीपुूर्ण ही रहे हैं। हालांकि कई मामलों में विवाद भी हुआ है। लेकिन फिर भी दोनों देशों के संबंधों को अगर देखा जाए तो आने वाले में यह दोनों देशों के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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