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One nation one election: एक देश एक चुनाव देश की जरूरत

पिछले कुछ सालों से केंद्र सरकार देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव को एक साथ कराने को लेकर कोशिशें कर रही है। खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस विचार पर अपनी सहमति व्यक्त की है। देश में इस तरह का चुनाव कराने में भले ही केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के पास संवैधानिक दिक्कतें हैं, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार इसके दिशा में एक सकारात्मक कदम उठा सकती है। 


Voting (Google Image)

ऐसी चर्चा है कि देश में 2019 में होने वाले आम चुनाव में राज्यों के चुनाव (विधानसभा चुनाव) भी साथ कराया जा सकता है। इसके लिए केंद्र सरकार को कोई बड़ा संवैधानिक संशोधन के रास्ते से भी नहीं गुजरना पड़ेगा। इस दिशा में 14 अगस्त 2018 को विधि आयोग के चेयरमैन बीएस चौहान ने देश की दोनों बड़ी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात भी की थी। 


इससे पहले कई क्षेत्रीय पार्टियों को भी इस दिशा में उनकी क्या राय है यह जानने के लिए बुलाया गया था। 2019 में जम्मू-कश्मीर, बिहार, झारखंड सहित कुल 12 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। बीजेपी सरकार को इस दिशा में आगे बढ़ने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी, क्योंकि कई राज्यों में बीजेपी की अपनी सरकार है तो वहीं कुछ राज्यों में बीजेपी सहयोगी के रूप में है। 


Voting (Google Image)

जिन राज्यों में लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव हैं वहां पर आम चुनाव तक राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। वहीं जिन राज्यों में चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद चुनाव है वहां पर विधानसभा भंग कर चुनाव कराए जा सकते हैं। केंद्र सरकार एक देश एक चुनाव के पक्ष में इसलिए भी है क्योंकि भारत जैसे विशाल देश में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होता ही रहता है। 


बार-बार होने वाले इन चुनावों से जहां देश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ता है वहीं केंद्र सरकार का चुनाव कराने में ही ज्यादातर समय निकल जाता है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक होने से देश की संशाधनों की बचत के साथ-साथ बार-बार होने वाले खर्चों से भी बचा जा सकेगा। चुनाव आयोग इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। 


जहां तक राज्यों में विधानसभा चुनाव का सवाल है तो हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड के विधानसभा चुनाव 2019 के अक्टूबर महीने में है। जो कि लोकसभा चुनाव के बाद पड़ता है। वहीं जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन है। यानि इन राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं।


Election Commission (Google Image)

कितना खर्च भारत में चुनाव के वक्त होता है-
जहां तक चुनावी खर्चों का सवाल है, भारत में चुनाव कराना काफी महंगा है। भारत इस मामले में अमेरिका से भी आगे है। 15वीं लोकसभा चुनाव का खर्च करीब 10 हजार करोड़ रुपए बैठने का अनुमान है। यह राशि अमेरिकी चुनाव से भी ज्यादा है। अमेरिकी फेडरल इलेक्शन कमीशन के सूचना के मुताबिक, 2007-08 के अमेरिकी चुनाव में कुल 8000 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। 


सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस बार के लोकसभा चुनाव में पिछले साल के मुकाबले दोगुनी राशि खर्च होने का अनुमान है। इसमें चुनाव आयोग की तरफ से अकेले 1300 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जाएगी। जबकि 700 करोड़ रुपए केंद्रीय और सरकारी एजेंसियों द्वारा खर्ज किए जाएंगें।
One nation one election: एक देश एक चुनाव देश की जरूरत One nation one election: एक देश एक चुनाव देश की जरूरत Reviewed by Santosh Bhartiya on 5:46 AM Rating: 5

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