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What is Article 370 for Jammu and Kashmir? जम्मू और कश्मीर में आर्टिकल 370 क्या है?

जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है। ये तो आप सभी जानते होंगे कि जम्मू-कश्मीर आजादी के बाद से ही भारत का अंग नहीं रहा है बल्कि यह प्राचीन समय से ही भारत का अंग रहा है। जो पाकिस्तान आज कश्मीर पर अपनी आंख जमाए हुए हैं वह भी कभी भारत का ही अंग था। लेकिन आज कश्मीर भारत के लिए एक समस्या बन गया है। यहां पर पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन अक्सर ही अशांति फैलाने की कोशिश में लगे रहते हैं।

Article 370 in jammu and kashmir (Santosh Bhartiya Image)


किसी भी महीने में कोई ऐसा दिन नहीं होता जब हमें कश्मीर में किसी दुखद घटना की खबर न मिलती हो। दरअसल कश्मीर वक्त बीतने के साथ-साथ भारत के लिए और अधिक पेंचिदा बनता जा रहा है। जम्मू और कश्मीर को भारतीय संविधान के तहत स्वायत्ता प्राप्त है। यहां पर भारत के संसद द्वारा पारित कुछ ही कानून लागू होते हैं। किसी भी नए कानून या संशोधन को जम्मू-कश्मीर में लागू करवाने के लिए पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा अनुमोदित करवाना पड़ता है। 


जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा दोबारा पारित होने के बाद भी भारत का कानून जम्मू-कश्मीर में लागू होता है। जम्मू-कश्मीर की ये कहानी शुरू होती है आजादी के बाद से। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली। आजादी के साथ ही भारत के दो टुकड़े भी कर दिए गए। एक बना पाकिस्तान और एक भारत। पाकिस्तान को दो हिस्सों में विभाजित किया गया था। पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान। आज पूर्वी पाकिस्तान बंग्लादेश के नाम से जाना जाता है। जिसे भारत ने 1971 में आजादी दिलवायी थी।

Map of Jammu and Kashmir (Google Image)


आजादी के बाद कश्मीर पर उस वक्त राजा हरि सिंह का शासन था। राजा हरि सिंह वहां के राजा थे। उस वक्त यह प्रांत न तो पाकिस्तान के अंदर था और न ही भारत के। लेकिन आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया। कश्मीर पर हमला करने के बाद पाकिस्तान बड़ी ही तेजी के साथ कश्मीर के एक बड़े हिस्से पर कब्जा करने जा रहा था। जब राजा हरि सिंह को अपनी हार सामने दिखने लगी तो उन्होंने भारत सरकार से सहयोग मांगा। 


राजा हरि सिंह के अनुरोध पर भारत ने उनकी मदद की और कश्मीर से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ कर कश्मीर को कब्जा होने से बचा लिया। इस मदद के एवज में राजा हरि सिंह ने कश्मीर का विलय भारत में किया। विलय के बाद भारत ने कश्मीर को जम्मू के साथ मिलाकर नया राज्य जम्मू और कश्मीर बनाया। भारत ने यहां पर लोकतंत्र की नींव रखी और यहां पर एक लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना की। 


लेकिन इन सबसे वाबजूद कश्मीर में गाहे-बगाहे हिंसा की घटनाएं सामने आती रहती है। कश्मीर में हासिल करने के लिए पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन युद्ध लड़ा लेकिन किसी में भी उसे जीत हासिल नहीं हुई। लगातार हार से बौखलाए पाकिस्तान ने कश्मीर में एक छद्म युद्ध के सहारे भारत और कश्मीर को अस्थिर करने का असफल प्रयास कर रहा है। कश्मीर की कुछ स्थितियां भी जिम्मेदार हैं आतंकी घटनाओं के लिए। जिनमें आर्टिकल 370 भी एक है।

Jammu and Kashmir occupied by china and pakistan (Google Image)


आइए जानते हैं कि आर्टिकल 370 क्या है? और कश्मीर और भारत के बीच यह किस तरह से एक बाधा की तरह काम करता है। 

1. भारतीय संविधान के तहत अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को एक विशेष स्वायत्ता वाले राज्य का दर्जा दिलाता है। 

2. अनुच्छेद 370 को 1947 में शेख अब्दुल्ला ने तैयार किया था। जिसें प्रधानमंत्री नेहरू और राजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। 

3. शेख अब्दुल्ला ने 370 को लेकर यह दलील दी थी कि संविधान में इसका प्रबंध अस्‍थायी रूप में ना किया जाए। उन्होंने राज्य के लिए मजबूत स्वायत्ता की मांग की थी, हांलांकि केंद्र सरकार ने तब इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। 

4. अनुच्छेद 370 की वजह से ही जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है। 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।

5. 370 के प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू कराने के लिए केंद्र को राज्य का अनुमोदन चाहिए।

6. अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता। जिस वजह से राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।

7. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।

8. भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। यहां दूसरे राज्य के नागरिक सरकारी नौकरी नहीं कर सकते। यहां के नागरिकों के पास दो-दो नागरिकता होती है। एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है।
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